मरने के बाद जिंदा होने की हसरत

मरने के बाद जिंदा होने की हसरत, 600 लोगों ने फ्रीज कराए शरीर, वैज्ञानिकों ने किया बड़ा दावा
क्रायोनिक्स (Cryonics) एक तकनीक है जिसमें विज्ञानिक विधि के द्वारा मृत व्यक्ति के शरीर को ठंडा करके फ्रीज किया जाता है, ताकि भविष्य में उसे उच्च स्तर के तकनीकी विकास के द्वारा फिर से जीवित किया जा सके। यह विज्ञान की एक चुनौतीपूर्ण तकनीक है और इसमें अभी तक कई वैज्ञानिक बाधाएं और विवाद हैं।
इस प्रक्रिया में, मृतक व्यक्ति के शरीर को जल्द से जल्द क्रियोप्रोटेक्टेंट नामक विशेष रसायनिक पदार्थों से भरा जाता है, जो शरीर को ठंडा करते हैं और कोशिकाओं को नुकसान से बचाने में मदद करते हैं। इसके बाद शरीर को धीरे-धीरे बेहद ठंडा किया जाता है, ताकि शरीर की कोशिकाएं खराब न हों। फिर, शरीर को लिक्विड नाइट्रोजन में स्टोर किया जाता है, जिससे शरीर को अविश्रांति स्थिति में रखा जा सकता है।
यह तकनीक अभी तक बहुत हद तक समृद्ध व्यक्तियों और उनके परिवार के बीच चर्चा का विषय रही है। इसमें कुछ लोग इस तकनीक को अपनाकर अनंत जीवन की उम्मीद रखते हैं, जबकि दूसरे इसे वैज्ञानिक बेवकूफी और असंभव मानते हैं। वैज्ञानिक समुदाय भी इस तकनीक को विवादास्पद मानता है और इसके बारे में अधिक शोध और अध्ययन की जरूरत है।
भारत में क्रायोनिक्स के लिए कोई निजी कंपनी या संस्था है, जो इस प्रक्रिया को विशेष रूप से प्रदान करती हो। कानूनी दृष्टिकोण से भी, भारत में इस तकनीक का इस्तेमाल करना काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि इसमें कई नैतिक, धार्मिक, और नैतिक पहलूओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, इसे नियंत्रित करने के लिए संबंधित कानूनी और नैतिक मुद्दों का समाधान करना आवश्यक होता है।
यह सब बातें विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति के साथ ही विकसित हो रहे हैं, और भविष्य में भी इस तकनीक की प्रगति होने की संभावना है। हालांकि, इस समय तक, इस तकनीक के परिणामस्वरूप दोबारा जिंदा होने की सफलता की कोई पुष्टि नहीं है।
अजीब चलन: मरने के बाद जिंदा होने की हसरत, 600 लोगों ने फ्रीज कराए शरीर, वैज्ञानिकों ने किया बड़ा दावा
कानूनी तौर पर भले ही ये लोग मर चुके हैं, लेकिन क्रायोनिक्स तकनीक में भरोसा रखने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि वो अभी सिर्फ बेहोश हुए हैं। इस तकनीक के जरिये उन्हें फिर से जिंदा किया जा सकता है।
दुनियाभर में दोबारा जिंदा होने के लिए शरीर फ्रीज करवाने का चलन बढ़ रहा है। इस समय विश्वभर में करीब 600 लोगों के मरे हुए शरीरों को फ्रीज करके रखा गया है। इनमें से 300 से ज्यादा शव सिर्फ अमेरिका और रूस में हैं।
कानूनी तौर पर भले ही ये लोग मर चुके हैं, लेकिन क्रायोनिक्स तकनीक में भरोसा रखने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि वो अभी सिर्फ बेहोश हुए हैं। इस तकनीक के जरिये उन्हें फिर से जिंदा किया जा सकता है। यही वजह है कि दुनिया में कई सारे लोग मरने से पहले अपने परिवार के सामने ये इच्छा जाहिर कर रहे हैं कि उनके शरीर को हमेशा के लिए खत्म करने की बजाय इस तकनीक के जरिये सुरक्षित रखा जाए।
यह है क्रायोनिक्स
अमेरिकी वैज्ञानिक डॉक्टर रिचर्ड गिब्सन के मुताबिक, जब इन्सान को कोई तकनीक जिंदा रखने में असफल हो जाती है तब मौत के बाद उसके शरीर को फ्रीजर में इस उम्मीद में रखा जाता है कि भविष्य में विज्ञान के और उन्नति करने पर उस इंसान को फिर से जिंदा करना संभव हो सकेगा।
भारत, अमेरिका समेत कई देशों में बनीं निजी प्रयोगशालाएं
भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, रूस समेत दुनिया के दर्जनों देशों में निजी कंपनियों ने प्रयोगशालाएं बनाई हैं, जो मरे हुए शरीर को सुरक्षित रखने का दावा करती हैं। हालांकि, इंडियन फ्यूचर सोसायटी के संस्थापक अविनाश कुमार सिंह के मुताबिक, भारत में शव को फ्रीज करके रखने के लिए कोई स्पष्ट कानून नहीं है। यहां कोर्ट और सरकार से इजाजत लेना काफी मुश्किल है।
लंदन हाईकोर्ट में पहला मामला
इसका पहला मामला 2016 में लंदन हाईकोर्ट के एक फैसले में सामने आया था। यहां 14 वर्षीय लड़की की कैंसर से 17 अक्तूबर 2016 को मौत हो गई थी। मौत से पहले उसने लंदन हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी कि उसकी मौत कैंसर बीमारी से होने वाली है। ऐसे में एक बार फिर से जीवन जीने का उसे अधिकार मिलना चाहिए।
बच्ची के परिवार को भरोसा था कि 50 या 100 साल के बाद मेडिकल साइंस में उसकी बीमारी का इलाज संभव होगा और उसे डॉक्टर एक बार फिर जिंदा कर सकेंगे। इसलिए उसने अदालत से इस तकनीक के जरिये अपना शरीर सुरक्षित रखने की अपील की थी।
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