Buddha Amritwani बुद्ध अमृतवाणी

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Buddha Amritwani

बुद्ध अमृतवाणी Buddha Amritwani

यहां आपको बुद्ध अमृतवाणी का हिंदी में एक सार्थक संक्षेपित विवरण प्रदान किया जाएगा। यह बुद्धजन्म, उनके जीवन, उपदेश, महापरिनिर्वाण, उनके धर्म के मुख्य सिद्धांतों और उनके योगदान को सम्मिलित करता है।

बुद्ध अमृतवाणी:

बुद्ध अमृतवाणी भगवान बुद्ध के जीवन, उपदेश, और धर्म के महत्वपूर्ण पहलुओं का एक महत्वपूर्ण संग्रह है। बुद्ध का असली नाम सिद्धार्थ था और वे नेपाल में लुम्बिनी नगरी में 563 ईसा पूर्व में जन्मे थे। उनके पिता शुद्धोधन राजा थे और माता माया देवी थीं। उनके जन्म के बाद भगवान बुद्ध के जीवन में चार महत्वपूर्ण घटनाएं थीं, जिन्हें चार ध्येय सुखता, दुखता, साम्य, और निर्वाण कहा जाता है।

जीवन की प्रारंभिक घटनाएं:

जन्मकाल: बुद्ध ने जन्मकाल में दुख और सुख से संबंधित अनुभवों का अनुसरण किया। उन्हें लोगों के दुखों का आभास हुआ और इससे उन्हें विचार करने लगा कि जीवन की सुखता सिर्फ भौतिक सुखों में नहीं है।

विचारना और संवाद: उनके मनन ने उन्हें संवाद करने, ध्यान करने, और भगवान को प्राप्त करने के लिए ध्यान की शिक्षा दी। वे सिद्धियों और भौतिक समृद्धि को प्राप्त करने के बारे में भी सोचने लगे, लेकिन इससे उन्हें शांति नहीं मिली।

सम्यक दर्शन: बुद्ध की अंतिम घटना उनके विचार ने हुई, जब उन्होंने भगवान के धर्म में नया पथ ढूंढा और सम्यक दर्शन प्राप्त किया। इससे उन्हें विश्वास हुआ कि जीवन की सुखता आत्म-निग्रह (सेल्फ-कंट्रोल) में है और अशांति व दुख अविवेक के कारण होते हैं।

महत्वपूर्ण उपदेश:

धर्म की शिक्षा: बुद्ध ने अपने जीवन में धर्म की शिक्षा देने का काम किया। उन्होंने शिक्षा दी कि जीवन में सुख कैसे प्राप्त किया जा सकता है, और दुख से कैसे मुक्ति प्राप्त की जा सकती है।

चार्या और सिला: बुद्ध ने चार्या (सम्यक आचार) और सिला (सम्यक आचार के नियम) की प्रमुखता को बताया। इन्हें पालन करके व्यक्ति शुद्धता और सच्चाई की प्राप्ति कर सकता है।

मध्यम मार्ग: बुद्ध ने मध्यम मार्ग के माध्यम से सुख और दुख के मध्य संतुलन को सिखाया। वे इसे आत्म-निग्रह (सेल्फ-कंट्रोल) का मार्ग कहते थे जिससे संसार में जीवन का समृद्धि पूर्वक अनुभव किया जा सकता है।

महापरिनिर्वाण:

बुद्ध ने अपने 80 वर्ष के उम्र में कुशीनगर शहर में महापरिनिर्वाण प्राप्त किया। उनके परिवार, शिष्यों, और अनेक लोगों के प्रेम भाव से घिरे हुए उनके इस अंतिम समय में उन्होंने उपदेश दिया और धर्म की महत्वपूर्ण बातें सिखाई। उनके महापरिनिर्वाण के बाद उनके शरीर को धार्मिक अनुष्ठान के लिए चिता पर रखा गया।

धर्म के मुख्य सिद्धांत:

1. चार्या: सम्यक आचार को पालन करना और सच्चाई से जीना।
2. प्रज्ञा: ज्ञान और अभिवृद्धि के लिए समय समय पर ध्यान करना।
3. समाधि: ध्यान और मेधा बढ़ाकर मन को शांत करना।
4. प्रज्ञापारमिता: सभी वस्तुओं के समाप्ति और अस्तित्व के प्रति असंबद्धता का अनुभव।
5. करुणा: सभी सत्त्वों के प्रति करुणा और दया रखना।
6. शून्यता: सभी वस्तुएँ शून्यता (अविद्या और अनिर्वाच्य) के रूप में अनुभव करना।
7. पुनर्जन्म: कर्म के आधार पर पुनर्जन्म के सिद्धांत को स्वीकार करना।

बुद्ध अमृतवाणी ने बुद्ध के जीवन और धर्म के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को एकत्रित किया है और उनके उपदेश ने लाखों लोगों को धर्म और आचरण में सही मार्गदर्शन किया है। उनके अद्भुत जीवन और उपदेशों को याद करके लोग आत्म-साक्षात्कार और शांति की प्राप्ति की ओर प्रयास करते हैं।

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